World-mumbai-श्री गणेश प्रथम पूजनीय क्यों है!

Why is Shri Ganesh the first to be worshipped in the world? What is the name of his wife and son?
मुंबई के लालबाग के राजा का इतिहास क्या है!

Bharat-श्री गणेश चतुर्थी दिनांक 7 सितम्बर सन 2024 को मनाया जायेगा! श्री गणेश चतुर्थी के दिन से देश के कोने-कोने में भगवान श्री गणेश जी का पंडालो में आवागवंन शुरू हो गया है!भारत में सबसे अधिक श्री गणेश जी का भक्त पुरे संसार मे रहते हैं मगर महाराष्ट्र व मुंबई में सबसे अधिक भक्त रहते हैं! माता गौरी पुत्र श्री गणेश ज़ी का श्री गणेश चतुर्थी 7 सितंबर 2024 के शुभ दिन पर महाराष्ट्र में हजारों नहीं लाखों की संख्या में श्री गणेश ज़ी का पंडाल बनाए आते हैं! पंडाल के अलावा घरों में भी श्री गणेश भगवान को पूजा और सेवा करने के लिए लाए जाते हैं!जिसकी जितनी शक्ति उतनी भक्ति हैं! जैसे कहीं-कहीं डेढ़ दिन का,कहीं ढाई दिन का,कहीं 5 दिन का,कहीं 7 दिन का,कहीं 10 दिन का,कहीं 11 दिन का,कहीं 15 दिन का, यह श्री गणेश चतुर्थी के दिन से पंडाल लगाए जाते हैं! उसके बाद श्री गणेश जी का धूमधाम से विदाई कर दिया जाता हैं! पूरे भारत में सबसे अधिक महाराष्ट्र और मुंबई, तेलंगना कर्नाटक में उसके बाद मध्य प्रदेश,उत्तर प्रदेश,बिहार,में श्री गणेश ज़ी के भक्त होते हैं! श्री गणेश जी आवागमन पर बड़े धूमधाम से जैसे ढोलबाजा के साथ नाचते गाते हुए खुशियों के साथ पूजा अर्चना करते हैं ! और श्री गणेश जी की विदाई भी की जाती है!

सभी देवताओं के प्रिया देवता श्री गणेश हैं!

श्री गणेश ज़ी चतुर्थी सनातन हिंदू धर्म का प्रथम है देव हैं इनका बहुत महत्व है श्री गणेश भगवान सभी देवी और देवताओं में प्रथम है हिंदू धर्म कोई भी शुभ कार्य करने के पहले श्री गणेश जी पूजा किया जाता हैं! ॐ श्री गणेशाय नमः श्री गणेश जी का मंत्र है!श्री गणेश जी अगर देखा जाय इनका दिन बुधवार का दिन माना जाता हैं! श्री गणेश माता पार्वती पिता शिव शंकर भगवान के पुत्र हैं! बुधवार के दिन बुधवार का मंत्र इस प्रकार हैं, ॐ नमो बु :बुद्धाय नमः इस मंत्र को पढ़ने से भगवान श्री गणेश अपने भक्तों पर प्रसन्न होते हैं! या ॐ श्री गणेशाय नमःश्री गणेश भगवान का बुधवार का दिन शुभ दिन माना जाता है!

भगवान श्री गणेश के कितनी पत्नी और कितने पुत्र थे!

भगवान श्री गणेश के दो पत्नी थी जिसका नाम माता रिद्धि और माता सिद्धि थी इनके दो पुत्र थे शुभ और लाभ, जिस प्रकार से हिंदू धर्म में शुभ कार्य मे पहले नाम से श्री गणेशाय नमः से शुरुआत की जाती है! इस प्रकार से देवों के देव श्री गणेश जी के दोनों पुत्र शुभ और लाभ को भगवान श्री गणेश जी नें बरदान दिए थे! उनसे पहले प्रथम शुभ और लाभ को शुभ कार्य में प्रथम पूजनीय होंगे आज भी कोई भी शुभ कार्य किया जाता हैं! वहाँ पहले शुभ और लाभ लिखा जाता है उसके बाद ॐ श्री गणेशाय नमः किया जाता हैं!

महादेव के दो पुत्र श्री कार्तिकेय,गणेश,
श्री गणेश प्रथम पूजनीय क्यों माना जाता हैं!

माता पार्वती शिव जी के दो पुत्र एक पुत्रियां थी एक दिन भगवान शिव ने बड़े पुत्र कार्तिकेय और छोटे पुत्र श्री गणेश को यह कह कर परीक्षा लिया दोनों पुत्रों में से जो पहले ब्रह्मांड का चक्कर लगाकर हमारे पास आएगा वह धरती पर प्रथम पूजनीय होगा! श्री कार्तिकेय देव ने सोचा कि हमारा सवारी यानि सारथी मोर है” हम मोर पर बैठकर पूरे ब्रह्मांड के चक्कर लगाकर अपने पिता और माता के पास पहले पहुंचेंगे! श्री गणेश का सवारी यानी सारथी मूषक है जिसे चूहा कहा जाता है! श्री कार्तिकेय देव ने सोचा कि श्री गणेश मूषक के साथ ब्रह्मांड में कई सौ वर्ष लग जाएंगे और मैं अपने मोर की सवारी से पूरी ब्रह्मांड का चक्कर लगाकर माता पार्वती माता शिव के चरणों में विराजमान हो जाऊंगा! मैं प्रथम पूजनीय बन जाऊंगा! श्री कार्तिकेय देव ने अपने सवारी मोर पर बैठकर ब्रह्मांड के चक्कर लगाने लगे! श्री महादेव ने कहा गणेश तुम क्यों खड़े हो तुम भी ब्रह्मांड का चक्कर लगाओ कार्तिकेय तो अपने सारथी के साथ ब्रह्मांड के तरफ बढ़ चुके हैं!

*भगवान श्री गणेश ने मुस्कुरा करके मूषक ऊपर बैठकर अपने माता-पिता का चक्कर लगाकर माता पिता के चरणों में आ खड़े हो गए! भगवान श्री गणेश नें महादेव से बोले हे पितामह हमने पूरी ब्रह्मांड चक्कर लगा लिया है! अब आपका निर्णय होगा कौन पूजनीय होगा! महादेव ने पूछे हमारा चक्कर लगाने से क्या ब्रह्मांड चक्र पूरा हो जाता है! भगवान श्री गणेश ने जवाब दिया पूरा ब्रह्मांड आपके चरणों के नीचे है जिन्होंने पूरे ब्रह्मांड को निर्माण किया जिन्हेंनें 84 हजार जीव जंतु मनुष्य को जन्म दिया संसार में आप ही ब्रह्मांड हैं! उधर से श्री कार्तिकेय नें पूरे ब्रह्मांड का चक्कर लगाकर भगवान शिव और माता पार्वती के पास पहुंचे कार्तिकेय ने देखा श्री गणेश यहीं पर खड़े हैं! कार्तिक ने कहा पितामह में पूरे ब्रह्मांड चक्कर लगाकर आ गया हुँ हमें प्रथम पूजनीय के लिए वरदान दीजिए! महादेव ने कहा हा पुत्र आपसे पहले गणेश में चक्कर लगा ली हैं! श्री कार्तिकेय ने कहा वह कैसे पूरे ब्रह्मांड के का चक्कर लगा सकते हैं एक मुषक की सवारी से असंभव हैं! ब्राह्मण के सभी देवी और देवताओं आकाशवाणी हुई और श्री कार्तिक को बताया गया पूरे ब्रह्मांड के देव महादेव स्वयं है! श्री गणेश ने अपने माता अपने पिता के चक्कर लगाकर अपनी कर्तव्य का पालन किया है ! और उस समय भगवान शिव ने माता पार्वती जी गणेश जी को वरदान दिए धरती पर कोई भी शुभ कार्य होगा वहां श्री गणेशाय नम: का प्रथम मंत्र जाप की जाएगी! उस समय से आज तक धरती पर प्रथम ॐ श्री गणेशाय नमः श्री गणेश जी की पूजा अर्चना की जाती है!

मुंबई और महाराष्ट्र में श्री गणेश चतुर्थी गणेश पंडाल कब से शुरुआत की गई थी!

भारत सनातन धर्म में का देश हैं यहाँ पर प्रथम भगवान गणेश की पूजा की जाती है! हर वर्ष श्री गणेश चतुर्थी मनाई जाती है! भारत में आक्रमण करके मुगल शासन चल रहा था! उसके बाद ब्रिटिश शासन ने मुगलों से मुक्ति दिलाकर खुद भारत में ब्रिटिश शासन का ईस्ट इंडिया कंपनी की शासन लागू किया गया था! लगभग सन 1815 से 1947 तक भारत अंग्रेजो का गुलाम रहा है! अंग्रेजों को भगाने के लिए एक प्रथा बनाई गई थी कि गणेश चतुर्थी के दिन पंडाल लगाया जाएगा और भारी संख्या में हिंदुओं को जमा किया जाएगा मुझे अंग्रेजी पर आक्रमण करके किसी भी प्रकार से अंग्रेजों को भारत से भागने की प्रयास किया जायेगा! मुंबई महाराष्ट्र में गणेशोत्सव की प्रथा की शुरुआत 1893 में स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक जी के द्वारा मुंबई की गिरगांव में और केशवजी नायक चोल के निवासियों और पुणे में शुरुआत की गई थी निवासी भाऊ रानगारी श्री खजगीवाले और श्री घोंटवाडेकर गणेशोत्सव सार्वजनिक रूप से की थी! धीरे-धीरे 1894 में श्री गणेश चतुर्थी का पंडाल मुंबई और महाराष्ट्र में एक दूसरे के माध्यम से सार्वजनिक गणेशउत्सव का आयोजन शुरू हों गई धीरे-धीरे बड़े पैमाने पर धूमधाम से श्री गणेश चतुर्थी को मनाए जाने लगे !

मुंबई के लालबाग के राजा की स्थापना कब हुई थी!

भगवान श्री गणेश लोकप्रिय देवताओं में से एक देवता हैं! ज्ञान,बुद्धि के देवों के देव महादेव के महापुत्र श्री गणेश जी मुंबई के लालबाग का राजा के नाम पर जाने जाते हैं! मुंबई के लालबाग क्षेत्र में 1934 में लालबाग में श्री गणेश जी का गणेशोत्सव मंडल की स्थापना की गई थी जिसमें लालबाग मार्किट के व्यापारी और मछुआओं के द्रारा साथ मिलकर एक पंडाल का शुरुआत की गई थी! भगवान श्री गणेश जी लालबाग के राजा के रूप मे 89 वर्षों से श्री गणेश जी मूर्ति की बनावट और सजावट, एक कांबली परिवार द्रारा की जाती है!

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