India-भारत में सबसे ज्यादा खाना क्यों फेंकते हैं बुजुर्ग माँ -पिता को बेघर क्यों करते हैं!

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भारत में सबसे ज्यादा खाना क्यों फेंकते हैं,

बुजुर्ग माँ -पिता को घर से बेघर क्यों करते हैं!

भारत :

भारत में बुजुर्ग माँ-पिता को घर से बेघर क्यों करते हैं!

जब विश्व में भारत की बात होती है यानी संसार की बात होती है उसमें प्रथम नाम भारत का आता है इसलिए कि भारत संत ऋषि मुनियों का देश रहा है यहां पर आयुर्वेद से लेकर के ज्ञानी विद्वान जैसे लोगों का धरती कहा गया है! इसलिए भारत को विश्व गुरु कहा जाता था!भारत देश एक ऐसा देश रहा है जो यहां सभी जाति और धर्म को एक साथ लेकर चलने वाला लोंग हुआ करते थे! मगर दुनिया में प्रथम शाकाहारी मनुष्य भारत में ही पाए जाते थे ! क्योंकि भारत में विज्ञान और कृषि के माध्यम से अनाज का पैदावार किया जाता था! आज भी दुनिया में ऐसे सैकड़ो देश है कि जहां पर अनाज नहीं हैं! लोंग जंगलों में मांस खाकर लोग अपने जीवन जीते हैं ! इसलिए कि वहां शिक्षा की कमियां है इसलिए कि वहां कृषि की कमियां है! वहाँ मानवता की कमियां है! यही कारण है की आज भी बहुत देश हैं जों विकास में पीछे उन्हें जंगलों रहने के लिए मजबूर रहते हैं! जंगल में रहने वाले लोगों को आदिवासी बनवासी के रूप में जीना पड़ता हैं उनकी मजबूरी रही है जों जानवरों को मार कर कच्चे पक्के मांस खाकर अपने जीवन जीते हैं!

एक कहावत है पापी पेट क्या न करें!

भारत में अन्य कम खाते ज्यादा फेंकते क्यों है!

India-भारत में विज्ञान और किसान के मेहनत और मजदूरी के कारण अनाज पैदा होता है! जितना अनाज यानी अन्य लोग खाने है उससे जादा लोंग फेंकने में एक फैशन समझते हैं ! क्योंकि भारत के कुछ चंद लोंग शिक्षा या गरीबों के बाहर निकालने के बाद उनको पैसे और रुपए के घमंड हों जाता हैं और महा घमंड में अपने जीवन जीते हैं! इस लिए वैज्ञानिक का बनाया हुआ हाथ में मोबाइल एक बैग के अंदर लैपटॉप का घमंड भर जाता हैं! एक कहावत है जो जन्म के दलिद्र होते हैं! वह कोई चीज की महत्व नहीं समझते हैं! ऐसे लोंग कभी देखा ना हों अचानक उसकी नौकरी मिल जाए! शादी विवाह पार्टी में उसको खाने का निमंत्रण मिल जाए! तब वह अपने घमंड में जीते हैं!

एक कहावत है विनाश काल विपरीत बुद्धि!

भारत में सबसे जादा का आदर सिर्फ -सिर्फ किसान ही जानता है क्योंकि वह अन्नदाता है! खेतों में अनाज कैसे पैदा किया जाता है! ठंड हो बरसात हो गर्मी का मौसम हो यह उस किसान को पता होता है कि जो अनाज के कैसे जमीन से उगाया जाता हैं फिर उसी किसान कों अन्नदाता कहते हैं ! आज कुछ लोग कों आज की दुनिया में सिर्फ रूपए पैसे की अहंकार घमंड में इसलिए उसके पास हैं पास पैसा है! हम सब कुछ खरीद सकते हैं! मगर पैसा एक व्यवस्था कर सकता है! पैसे से अच्छा संस्कार अच्छी बुद्धि नहीं मिलती हैं! पैसे से अच्छा परिवार नहीं मिलता हैं पैसे से अच्छे विचार से अच्छे लोगों नहीं मिलते हैं! सिर्फ अच्छे विचार से अच्छे लोगों को संगत से संस्कार, मिलिती हैं! कितना बड़ा स्कूल हो या डिग्री कॉलेज हो या कोई भी डिग्री प्राप्त करलो जब तक खानदानी,संस्कार,सभ्यता ना हो तब तक वह इंसान-इंसान नहीं रहता मगर आज की दुनिया में कुछ ऐसे लोग भी हैं जों संस्कार बचा कर रक्खे हैं!

भारत में अनाज की बर्बादी कैसे किया जाता है!

भारत देश में अनाज की बर्बादी करने वाले वही लोग वहीं होते हैं जो सरकारी अनाज मुक्ति में प्राप्त कर लेते हैं! या नये नये सरकारी नौकरी में लगे हुए हैं या नये नये चंद रुपए कमा लिए हैं! ऐसे लोग अनाज का क़द्र नहीं करते हैं,ना ही इंसान का कद्र करते हैं! ना हीं अपने माता-पिता का कद्र करते हैं! इस लिए की जों नये नये उद्योगपति, नई-नई सरकारी नौकरी, नई-नई बीबी यानि पत्नी, ऐसे कुछ चंद्र लोक समाज के अंदर अपने माता-पिता का भी नहीं होते है! इसलिए कि उनकी शिक्षा इतना ज्यादा हो जाती है! बुढ़ापे में जन्मदाता माता, संघर्ष करने वाला पिता जो मजदूरी करके अपने बच्चों को शिक्षा में या बिजनेस में अपने बच्चों की विकास में योगदान दिया है! ऐसे पिता ऐसे माता को घमंडी, अहंकारी, स्वार्थी, अपने आप के घमंड में चंद रुपए के कागज के टुकड़े के घमंड में, यह अपने मां बाप के भी नहीं होते – यह सत्य है अगर इस प्रकार से आज की हुआ पीढ़ी अपने माता-पिता के आदर करते भारत के अनेक राज्यों में वृद्ध आश्रम खुलता ही नहीं, यह उसे माता-पिता का कर्म है! उनके ही औलाद उन्हें घर से बेघर कर देते हैं!

भारत में अनाज की बर्बादी किस प्रकार से किया जाता है! भारत की प्राचीन काल से एक परंपरा रही हैं! जिसमे भाईचारा और समाज के उच्च विचारधारा को जोड़ने वाली प्रथम बनाई गई थी! भारत के प्रथम हुआ करता था किसी के यहां शादी विवाह होती है! तब लोग अपने गांव के लोगों को अपने रिश्तेदार के लोगों को शादी विवाह या किसी भी कार्यक्रम में शुभ निमंत्रण देकर के बुलवाते थे! यह प्रथा एक दूसरे में चली जाती थी ना जात न धर्म सिर्फ मानवता पर यह प्रथा चलती रही है! कुछ दलिंदर टाइप के लोग जब किसी की शादी विवाह में शामिल होते हैं तो वहां खाने-पीने की समान कितना अधिक ले लेते हैं! आधा खाना खाने के बाद आधा फेंक देते हैं!

मगर अनाज या खाना फेंकने वालों को सोचना चाहिए कि जिस व्यक्ति ने कितने मेहनत से जितने संघर्ष शुभ कार्यक्रम खाने पीने की व्यवस्था किस हालत में किया होगा धन से लेकर के मन से लेकर के हमारी सेवा में लगा है और मैं यहां पर खाना कम खाना फेकना जादा कर रहा हुँ यह कुछ लोगो की अहंकार की दुनिया जी रहे हैं! इसी प्रथा के बीच में गांव की संस्कृति है भारत की संस्कृति को धीरे-धीरे विज्ञान की दुनिया में अब खत्म हो चुकी है! क्योंकि दुनिया का तीसरा आंख गूगल जैसे नेटवर्क कंपनी के माध्यम से फेसबुक ट्विटर इंस्टाग्राम एवं तरह-तरह के, सोशल मीडिया पर चलता फिरता मोबाइल का ज्ञान प्राप्त कर रहे हैं! गूगल नेटवर्क की कंपनी एक अच्छी कंपनी होती है! जो एक दूसरे देश को जोड़ता है एक दूसरे लोगों को जोड़ता है! गूगल जैसे नेटवर्क कंपनियों में अनेक अनेक पुराने पुराने प्राचीन ज्ञान को एक दूसरे के सामने समक्ष रखता है! मगर आज के लोग प्राचीन इतिहास को नहीं- गांव गली के उल्टी सीधी नाच गाना और गंदे गंदे तस्वीरों को देखने में मस्त है!

आओ अनाज बचाए माता-पिता के बुढ़ापे का सहारा बने!
आने वाले भविष्य के लिए अनाज और पानी कैसे बचाएं, जन्मदाता माता-पिता का आधार कैसे करें मां पिता एक बार मिलते हैं बार-बार नहीं हम सब मनुष्य हैं यह भारत की नहीं दुनिया के सृष्टि की एक रचना है सभी मां पिता बनते हैं! इसका अर्थ नहीं हैं मै अनाज का नुकसान पहुचाये, एवं बूढ़े माता-पिता को उन्हीं के घर से बेघर करके घर से निकाल देते हैं !
यह एक घोर पाप हैं!

जब आप अपने माता-पिता के साथ इस प्रकार से व्यवहार करेंगे! आप भी अपने बच्चों के माता-पिता हो आने वाले समय में आपके बच्चे भी आपके साथ इसी प्रकार से व्यवहार करेंगे! इसलिए कि हमेशा युआ शरीर नहीं होती है!शरीर तीन भागों में बांटा हुआ है बचपन युआ और बुजुर्ग के रूप में मगर उस व्यक्ति को सूचना चाहिए कि जो अपने माता-पिता से बुढ़ापे का सहारा छीन लेते हैं! आज भारत देश के अंदर सभी राज्यों में वृद्धआश्रम की जनसंख्या इतनी बढ़ रही है कि शर्म की बात हैं! कभी कहना सोचे कि पराए घर की लड़की आपकी धर्मपत्नी बनकर आई है तो हम उसकी खूबसूरती को देखकर अपने माता-पिता को घर से बेघर कर दे, हर खूबसूरत शरीर दो-चार साल में ढल जाती है! परिवार संस्कार दिल की खूबसूरती खानदानी रईस का पहचान परिचय होता है! जैसा करोगे वैसा भरोगे इसलिए अपने माता-पिता का आदर करें! किसान अन्नदाताओं के दिए हुए अनाज की आदर करें!

भारत में सबसे ज्यादा खाना क्यों फेंकते हैं बुजुर्ग माँ -पिता को घर से बेघर क्यों करते हैं!

India-भारत में सबसे ज्यादा खाना क्यों फेंकते हैं बुजुर्ग माँ -पिता को घर से बेघर का सहारा बने -आज के लोगों को सोचना चाहिए कि जो माता-पिता जन्म दिए बचपन से लेकर के शिक्षा तक उनका साया रहा इस माता-पिता का उम्र ढल जाती है तो वही बच्चे उनका घर से बेघर कर देते हैं! जीवन में इंसान जन्म लेने वाला कोई कितना ही बड़ा अमीर हो कोई कितना भी गरीब हो भारत या दुनिया में धरती का मालिक नहीं है वह मेहमान है आज है कल नहीं इसलिए हर एक व्यक्ति को अपने माता और पिता का सम्मान करना चाहिए!

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