OShO-चंद्रमोहन जैन कैसे बने रजनीश ओशो इनकी संपूर्ण जीवनी!

Rajnish Osho- रजनीश ओशो की संपूर्ण जीवनी!

Bharat :भारत के मध्य प्रदेश के जबलपुर में 11दिसंबर 1931 को जैन परिवार में उस इंसान का जन्म हुआ था जिसका नाम था चंद्रमोहन जैन चंद्रमोहन से कैसे बने रजनीश ओशो यह सफर एक सामाजिक सफर और धार्मिक सफल रहा है! रजनीश ओशो भारत के साथ साथ पूरी दुनिया के कोने-कोने में जाने जाते हैं और माने जाते हैं! रजनीश ओशो उर्फ चंद्रमोहन जैन एक पढ़े लिखे महान पुरुष थे इन्होंने अपनी शिक्षा के बाद में जबलपुर में डी-एम-जैन महाविद्यालय जबलपुर में एक अच्छे और सच्चे प्रोफेसर के रूप में कार्य थे इन्होंने 1970 में जैन महाविद्यालय से इस्तीफा देकर मुंबई चले आए!1974 में मुंबई से पुणे कोरेगांव होते हुए! अमेरिका से यूरोपीय देशों तक इनका सफर सफल रहा

ओशो का किन विचार धारा कों लोंग मानते थे!

आचार्य रजनीश ओशो के यूरोप में ओशो इंटरनेशनल ट्रेड मार्क ले रखा है !आचार्य रजनीश ओशो हमेशा चर्चा में हमेशा इसलिए रहते थे वह सभी धर्म को अच्छा व बुरा जों भी कहना होता था खुलेआम मंच से कह देते थे! भारत में भारत के अलावा दुनिया के किसी भी देश में धर्म के बारे में अच्छा हो या ना हो कोई दुखी हो कोई सुखी हो कोई नाराज हो उनके मन जों सत्य लगता था श्री रजनीश ओशो सत्य कहना शुरू कर देते थे! कई लोगों ने उनसे पूछा कि आपकी धर्म को मानते हैं उन्होंने कहा कि हम मानवता को मानते हैं! धर्म से बड़ा मानवता होता है! श्री रजनीश ओशो की सनातन धर्म से थे!’सनातन प्रचारक थे इसका अर्थ होता था स्वयं गुरु स्वयं के भगवान के स्वरूप थे!आचार्य श्री रजनीश ओशो को भगवान आचार्य रजनीश ओशो के नाम पर भी जाने जाते हैं!उनके भक्त देश और विदेशों में फैले हुए हैं उनकी विचार इनकी सोच बहुत अलग उच्च विचार की थी!

आचार्य रजनीस ओशो का धर्म विचार कैसा था!

ओशो का मुख्य उद्देश्य हुआ करता था निर्देश हुआ करता था! जो आपके मन में पहले चल रहा है पहले उसे कार्य को पूर्ण करें! फिर उसके बाद में अपने जीवन में आगे बढ़ाने के लिए कार्य करें! एक इंसान का दो जगह मन कों डायोड ना हो एक जगह मन लगाकर कार्य करने से हर सफलता प्राप्त होती है! इनकी खुली विचार उनके उच्च विचार से दुनिया के लोग प्रभावित होते थे! फिल्मी दुनिया के बड़े-बड़े हस्ती भी इनके अनुवाई और भक्त हुआ करते थे विनोद खन्ना उनके सबसे बड़े भक्त थे!आचार्य रजनीश ओशो का एक ही विचार था मानवता से बढ़कर दुनिया में कोई चीज नहीं है! भगवान श्री रजनीश ओशो द्वारा दी गई विचार दी गई शिक्षा आज भी पुस्तकों में दर्ज है ऐसे व्यक्ति का जन्म होना बहुत सौभाग्य की बात थी !

आचार्य श्री रजनीश का पर्सनल सेक्रेटरी कौन थी!

भगवान रजनीश ओशो का पर्सनल सेक्रेटरी शीला नामक एक लड़की थी उनकी मुलाकात मुंबई में हुआ था और यहां से उनकी जीवन की शुरुआत हुई मुंबई से पुणे और अमेरिका यूरोप तक फैला हुआ है जो शीला इनकी सेक्रेटरी हुआ करती थी शीला ने रजनीश ओशो को अमेरिका लेकर गई थी ! शीला की पूरी शिक्षा मुंबई और अमेरिका में हुआ था और शीला इनकी सेक्रेटरी और प्रेमिका के रूप में जानी जाती हैं!

चंद्रमोहन जैन से रजनीश ओशो का सफर-सफल कैसे रहा!

Rajnish Osho: भारत में विश्व की इतिहास में उनका नाम दर्ज हैं! उन्होंने जबलपुर से प्रोफेसर की नौकरी छोड़ने के बाद नवसन्यास आंदोलन की शुरुआत शुरुआत के इसके बाद उन्होंने खुद को ओशो कहना शुरू कर दिया 1981 में 1985 बीच में उन्होंने भारत से अमेरिका चले गए अमेरिका इनका 65 हजार एकड़ में पहला आश्रम एक अद्भुत ग्रुप में जाना जाता है! लाखों प्रशंसक उनके आश्रम में आते हैं उनके अनुयाई भी है!1985 में भारत लौट आए इनका सबसे बड़ा आश्रम महाराष्ट्र की पुणे में स्थित है! इन्होंने 19 जनवरी 1990 में अपनी शरीर को त्याग दिया परमात्मा में लीन हो गए! श्री भगवान ओशो यह कोई साधारण गुरु या शिक्षक नहीं थे! यह बहुत अद्भुत बहुत स्पष्ट गुरु थे जो भी कहना होता था सत्य रूप से कह देते थे!

भगवान श्री रजनीश ओशो का कितनी पुस्तक लिखी है!

आचार्य श्री रजनीश ओशो द्वारा लिखी गई पुस्तकों के इस प्रकार से नाम है! 1)जीवन जीने की कला 2) ध्यान सूत्र ओशो 3) जीवन की खोज ओशो 4 ) सेक्स लेकर चेतना तक 5) कृष्ण मनुष्य और उनका दर्शन 6) मनुष्य का पुस्तक इसी प्रकार से सैकड़ो पुस्तक उन्होंने लिखी हुई है उनके हजारों लाखों प्रवचन श्री भगवान रजनीश ओशो के पुस्तक के भंडार पड़े हुए हैं और उनके अनुयाई पढ़ते भी हैं! उनकी पुस्तक ऑनलाइन आपके द्वारा मनाया जा सकता है!

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