History :भारत में रक्षाबंधन की इतिहास क्या हैं!
भगवान श्री कृष्णा और द्रौपदी की क्या रिश्ते थे!
भारत में रक्षाबंधन की शुरुआत कब से हुई हैं! भारत वर्ष में प्राचीन काल में बताया जाता है कि रक्षाबंधन रक्षा हेतु भाई और बहन का बंधन यानी रक्षा करने की प्रथा सादिओं चली आ रही है! कई हजार वर्ष पहले की बात है! भारत के प्राचीन कॉल में द्वापरयुग की बात है!भगवान श्री कृष्णा ने एक दृष्ट राजा शिशुपाल का वध किए थे और श्री कृष्ण भगवान के अंगूठे में चोट आई थी! उनके अंगूठे से लहू बह रहा था! जब द्रौपदी ने देखा श्री कृष्ण को उनके अंगूठे से लहू बह रहा है और अपनी साड़ी के आंचल को चिरकर भगवान श्री कृष्णा अंगूठे को बाध दी थी! लहू बहना बंद हो गया उसी समय से भगवान श्री कृष्ण ने द्रौपदी का अपना बहन मान लिए थे!यह पवित्र रिश्ता द्रोपती और भगवान श्री कृष्ण के बिच बहन की रक्षा हेतु! भगवान कृष्ण ने बचन दिए !
History :भारत में पांडव ने जुए में क्या हारे थे!
भारत की प्राचीन समय की बात है द्वापरयुग में भगवान कृष्ण के समय की बात है! कौरव और पांडवों के बीच पांडव ने गौरव से में जुए में द्रोपती को हार गए थे! उसे समय द्रोपती को भारी समाज में कौरव द्वारा द्रोपती का चीर हरण किया जा रहा था और भरी सभा में लोग तमाशा देख रहे थे! द्रोपती असहाय हो गई चिक-चिक रोने लगी कोई तो मेरी लाज बचाओ मगर पांचो पांडव एक साथ बैठे थे मगर द्रोपती को जुआ में पांडव हार चुके थे! अब पांडवों का अधिकार ना रहा कौरव द्वारा चीर हरण किया जा रहा था! मगर द्रोपती ने श्री कृष्ण को याद कर रोने लगी हे केशव कहां हो मेरी बीच भरी सभा में इज्जत उछाली जा रही है!
भगवान श्री कृष्ण ने अपने मानी हुई बहन को द्रोपती की आवाज को रोती हुई चीखती हुई अंतरात्मा से समझ चुके थे! क्रोधित हों उठे और भगवान श्री कृष्ण ने द्रौपदी का लाज बचाने के लिए अपनी माया से उनकी साड़ी को जितनी बार उतारी जाती थी उससे जाता साड़ी टुकड़े बढ़ते चले जाते थे! पूरी भरी समाज में साड़ी से पूरे महल भर गए मगर साड़ी शरीर से खींचते रहे और चारों ओर से द्रोपती घूमती रही शरीर से साड़ी के टुकड़े बढ़ाते बढ़ाते पूरी महल साड़ी से भर गया! चीर हरण करने वाले यह देखकर भयभीत होकर जमीन पर गिर पड़े मगर द्रोपती की साड़ी शरीर से नहीं उतर पाए! पांडव और कौरव भी अचरज मान गए ए क्या हों रहा हैं! भरी समाज में हाहाकार बच गई भगवान श्री कृष्णा भरी समाज में स्वम प्रकट होकर विराजमान हो गएऔर द्रौपदी को भरी समाज से अपने साथ लेकर गए!
द्रोपती पांचो पांडवों की क्या लगती थी!
भारत में रक्षाबंधन की इतिहास रही हैं द्रोपती पांच पांडवों की धर्मपत्नी के रूप में जानी जाती हैं!और कौरवों द्वारा एक जुआ का खेल खेलने में पांच पांडवों ने द्रोपति को कौरवों के समक्ष हार गए थे!
रक्षाबंधन द्रौपदी और श्री कृष्ण से यह परंपरा रही है!
प्राचीन भारत के इतिहास रही है भारत में जो भी सनातन प्रथा बनी हैं आज भी पुरानी प्रथा सनातन धर्म को लेकर आज भी लोग त्योहारों को अपने परिवार के साथ पड़ोसी साथ रिश्तेदारों के साथ बड़े धूमधाम से मानते हैं! यह प्राचीन भारत की बात है चाहे रक्षाबंधन हो,चाहे होली हो, चाहे दीपावली हो, या देवी देवता है संत गुरुओं का जन्माष्टमी हो भारतवर्ष में बड़े धूमधाम से मनाए जाते हैं इसी प्रकार से रक्षाबंधन का त्यौहार द्वापरयुग से कलयुग तक छोटे-छोटे राजा महाराजा से लेकर गांव के लोगो ने अपने परिवार के सात रिस्तेदार के रक्षाबंधन का त्यौहार मनाते हैं!
भारत में रक्षाबंधन की इतिहास रही हैं रक्षाबंधन में भाई को बहन रक्षाबंधन की हाथ में राखी बाधती है और तिलक लगाकर, गुड़ या मिठाई खिलानी है! उन भाइयों की तरफ से अपनी बहनों को जो हो सकता है वह दान के रूप में देते हैं! यह प्राचीन इतिहास के उदाहरण दिया गया है! भगवान श्री कृष्णा और द्रौपदी से यह प्रथा की शुरुआत हुई थी धीरे-धीरे रक्षाबंधन पूरे भारत देश और विदेशों रक्षाबंधन की प्रथा चली आ रही है !
History :भारत में रक्षाबंधन की इतिहास!