Chhath puja-छठ पूजा का प्राचीन इतिहास क्या है !
Uttar Bharat-उत्तर भारत- सनातन धर्म की Chhath puja-छठ पूजा भारतीय संस्कृति में कई हजार सालों से चली आ रही है, छठ पूजा का अर्थ होता है भगवान सूर्य को ध्यान करना और शाम कों सूर्यास्त के समय यानि डूबते हुए सूरज का प्रार्थना करना पूजा करना,
भारत में छठ मैया को कितने नाम से जानते हैं!
छइठ,छठ व्रत, छठ,छठी मइया,छठ पर्व, छठ पूजा,सूर्य छठी,भारत उत्तर भारत में छठ पर्व का बहुत महत्व है,उत्तर प्रदेश का पूर्वांचल बिहार मिथिला मगध बंगाल, झारखण्ड,भोजपुरी, बंगाल, नेपाल,भगवान सूर्य का पूजा किया जाता है,छठ मैया, छठ पूजा हिंदू और बुद्ध धर्म का सबसे प्राचीन त्योहार माना जाता है और इसे बड़े संख्या में सभी छठ का पूजा किया करते हैं, यह पूजा महिला द्वारा किया जाता है इस पूजा करने में बहुत साफ सुथरा शरीर होनी चाहिए उपासना होना चाहिए, छठ पूजा के पहले से लेकर आखिरी समय तक उपवास रखना अनिवार्य होता है,अनुष्ठान सूर्यप्पा, निर्जला व्रत तिथि माता की पूजा छठवें दिन,छठ पूजा,समान पर लालही छठ, चैती छठ,वैशाख छठ,अग़हनिया छठ, इसी प्रकार से मनाए जाते हैं!
भारत की छठ पूजा का विधि क्या है!
Chhath puja-छठ पूजा का महत्व सनातन धार्मिक के अनुसार सूर्य देव की बहन छठी माता है,ऐसे में छठ की पूजा में छठी मैया की विधि विधान से महिलाओं और पुरुष नें पूजा अर्चना करने के साथ सूर्य देव को अर्थ देने का विशेष महत्व माना जाता है कहते हैं कि दोनों के आशीर्वाद से संतान आपको अच्छा स्वास्थ सुख शांति समृद्धि मिलती है,भगवान सूर्य देव की पूजा यानी छठ मैया की पूजा कैसे की जाती है इसकी विधि क्या-क्या है, जैसे उत्तर भारत भगवान और की बहन छठ मैया की पूजा करने से पहले एक दिन पहले से उपासना किया जाता है,और छत की पूजा के दिन तरह-तरह के प्रसाद रूप में सुर्य देव को गन्ने पुरी,शुद्ध जल, तथा खाद्य सामग्री में मिठाई एवं और घरेलू खाद्य भोजन बनाए जाते हैं जिससे छठ मैया और सूर्य देव को अर्पित कर सके,
Chhath puja-छठ पूजा शुरुआत कैसे हुआ था!
भारतीय सनातन धर्म के हिंदू परंपरा के अनुसार प्राचीन काल में माता सीता ने राम के 14 वर्ष बनवास पूरे होने पर किसी ऋषि मुनि के कहने पर माता-सीता ने सूर्य देव का उपासना की थी और उसके बाद ऋषि मुनियों द्वारा सूर्य भगवान का माता सीता ने यज्ञ होंम करवाया गया था इस लिए की श्री राम के 14 वर्ष बनवास पूरे भी हुए थे, भगवान राम नें चौदह वर्ष वनवास पूरे होने पर सियाराम जी लक्ष्मण जी और मा सीता जी हनुमान जी के साथ अयोध्या गए थे! हिंदू धर्म के परंपरा के अनुसार सूर्य पूजा छठ माता का पूजा माता सीता द्वारा यह जाने की एक प्रथा बन गई थी! और हमेशा मां सीता सूर्य देव को उपासना करना पूजा पाठ किया करती थी! इसी परंपरा को धीरे-धीरे आगे बढ़ते चले गया जो आज के परंपरा सनातन धर्म का मुख्य देवता सूर्य देव माता छठी देवी का पूजा अर्चना किया जाता है! यही प्रथम धीरे-धीरे पूर्वांचल के भारत में उत्तर भारत जैसे बिहार उत्तर प्रदेश झारखंड नेपाल मैं सूर्य देव का पूजा करना माता छठी का पूजा करना लोगों के घर में सुख शांति उनके परिवार में सुख शांति बनी रहती है! यह छठी पूजा करने के लिए बहुत से विधि और साफ सफाई से पूजा किया जाता है इस पूजा करने के लिए, गंगा यमुना नदी या शुद्ध तालाब का जल हो जहां पर सूर्य अस्त होते समय सूर्य देव को उनकी बहन मां छठी देवी को अस्त होते सूरज को जल अर्पित किया जाता है! छठ मैया का पूजा करने के लिए महिलाएं इस पूजा को पूर्ण करते हैं, Chhath puja-छठ पूजा में किसी पंडित और अपरोहित की आवश्यकता नहीं होती है लोग स्वयं अपने आप से सूर्य देव को माँ छठी देवी कों जल अर्पित करते हैं!
छठ पूजा का महाभारत काल में भी मनाया गया था!
Chhath puja- छठ मैया का पूजा उत्तर भारत में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है और धीरे-धीरे भारत के सभी राज्यों में छठ मैया का पूजा प्रथम किया जा रहा है जिस प्रकार से देखा जाए उत्तर भारत-बिहार, झारखंड, के लोग भारत के किसी राज्य में है या दुनिया के किसी राज्य में होंगे वहां भी भगवान सूर्य देव और माता छठी का पूजा करते हैं, यह भारत के हिंदू संस्कृति में बुद्ध के संस्कृत में कई हजार साल पहले से लेकर अब तक सूर्य देव का पूजा मां छठी का पूजा शुद्ध रूप से आज भी चली आ रही है! सनातन धर्म के लिए बहुत गौरव की बात होती है कि छठ पूजा करने से लोगों के घरों में सुख शांति उनके बच्चों को सुख शांति उनके रिश्तेदारों में सुख शांति प्रदान होता है,महत्वपूर्ण बातें है कि इस पूजा प्रथा को मां सीता से लेकर के महाभारत काल से लेकर के भगवान बुद्ध कालीन से लेकर आज तक छठ मैया का पूजा पाठ किया जाता है!
महाभारत काल में द्रोपदी छठ पूजा क्यों रखी थी!
Chhath puja-भारत में जब छठ पूजा की बात होती है तो रामायण से लेकर के महाभारत तक, भगवान बुद्ध से लेकर के राजा अशोक शासन काल तक भगवान सूर्य देव मां छठी मैया का पूजा अर्चना आज भी माना जाता हैं,किया जाता है, बताया जाता है कि द्रोपदी में छठ पूजा क्यों रखी थी द्रोपदी छठ पूजा इसलिए रखी थी जब पांडवों ने सारा राजपथ धन दौलत हुए में हार गए थे तब द्रौपदी भगवान सुर्य से प्रार्थना की थी मैं आपकी छठ व्रत करूंगी हमारे प्रति हारे हुए धन दौलत राज पाठ वापस में मिल जाए मैं आपकी छठ मैया की पूजा अर्चना करूंगी,भगवान सूर्य देव मां छठ मैया की कृपा से पांडवों को हारे हुए धन दौलत राज पाठ वापस मिल गए थे! तब द्रोपती ने छठ मैया की पूजा अर्चना की थी यह भी प्राचीन प्रथा आज भी भारत के लिए भारत लोगों के लिए सुखदायक हैं भगवान बुद्ध ने भी बिहार से लेकर के उत्तर भारत में श्री सूर्य देव की आराधना किए थे भगवान सूर्य देव उनकी बहन माता छठी देवी का आज भारत के कोने कोने में छठ मैया के पूजा के नाम पर बहुत शुद्ध रूप से पूजा पाठ किया जाता है यह हिंदू धर्म के परंपरा के अनुसार पूजा पाठ करने वाले भगवान सूर्य देव के भक्तों को सुख शांति समृद्धि मिलती है उनके बच्चों में लंबी उम्र की कामनाएं होती हैं !