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Vishnu Puran :सत्य-पृथ्वी पर भीषण गर्मी से जनजीवन के अंत का संकेत है.!

धरती पर भीषण गर्मी का संदेश क्या है!

धरती का सनातन सत्य क्या हैं !

श्री विष्णु पुराण में लिखा हुआ है”अब धीरे-धीरे सत्य सामने आ रहा है!

ब्रह्मांड में अगर देखा जाए धरती पर तरह-तरह के लोग रहते हैं! मनुष्य में नर और मादा रहते हैं!

पेड़ और पौधे तथा जानवर व पंछी व चिड़ियों में 84000 जीव जंतु पाए जाते हैं!

किसी प्रकार के जानवर हो या जीव जंतु हो मनुष्य को नुकसान नहीं पहुंचते मगर मनुष्य इनको जरूर नुकसान पहुंचता है!चाहे जल में रहने वाली कछुआ और मछली हो चाहे धरती पर रहने वाले जानवर या पंछी हो या किसी प्रकार भी प्रकार के जीव जंतु हो !कलयुग का सत्य यही है कि कलयुग मनुष्य अपने स्वार्थ और मतलब के लिए मनुष्य को इस्तेमाल करते हैं! जहां उनका स्वार्थ या मतलब रहेगा वहां झुक जाते हैं जैसे मतलब और स्वार्थ खत्म होता है वैसे इंसान अपना गिरगिट तेरा रंग बदलने लगता है! इसी को पढ़ते हैं कल और युग और युग का अर्थ होता है चलना चाल चलन जो आज मनुष्य अपने चाल चलन से जाना जाता हो पहचाना जाता है! 

* मनुष्य में मानवता क्यों मर रही है !

भारत की दुनिया की धरती पर तरह-तरह के लोगों को मनुष्य में नर और मादा भी होते हैं नर और मादा की चेहरे अलग-अलग होते हैं! इनके खून लाल होते हैं मगर इनके में DNA अलग-अलग होते हैं! धर्म को दूर करने के लिए कहा जाता है कि मनुष्य में दो जातियां होती है एक महिला एक पुरुष होते हैं! अगर दुनिया में महिला और पुरुष दो ही जातियां होती है! आज एक समान पूरी दुनिया में लोग देखे जाते हो माना जाता है! प्रशासन की आवश्यकता होती है प्रशासन का सत्ता होती है न्यायपालिका का आवश्यकता होती! 

 *क्या जानवर से ज्यादा मनुष्य गिर चुका है!

Vishnu Puran : मनुष्य धरती पर जन्म लेता है कर्म करता है और कुकर्म में भी करता हैँ! आज के मनुष्य का महा कुकर्म क्या होता है कि पैसे और रूपये को भगवान करते हैं, और इंसान इंसान को लूटते हैं – एक इंसान दूसरे इंसान को शत्रु समझता है एक इंसान दूसरे इंसान से घृणा और नफरत में बदलता रहता है! 

*वृक्ष का क्या कसूर जो मनुष्य उसे नष्ट कर रहे हैं’इस संबंध अधिक जानकारी.!

मनुष्य धरती पर किस प्रकार से जन्म लेता है ! इस प्रकार से वृक्ष भी धरती से स्वयं जन्म लेते हैं मनुष्य पहले इस धरती पर वृक्ष हुआ करते थे तरह जानवर पंछियों हुआ करते थे! धरती पर जल, वायु, सूर्य का प्रकाश, रात और दिन यह मनुष्य के पहले के जन्मदाता है! मनुष्य का जन्म कहा जाता है एक माता एक पिता से ही पूरी दुनिया का मनुष्य की जन्मदाता हुआ करते थे ! विष्णु पुराण में या शिव पुराण की बात की जाए एक माता पार्वती एक पिता परमेश्वर भोलेनाथ के वंशज पूरी दुनिया के संसार के लोग हो सकते हैं ! मगर विज्ञान का कहना कुछ और है मनुष्य का जन्म कुछ अलग रूप से हुआ –जैसे धरती पर मनुष्य का जन्म,वनमानुष मानुष बंदर लंगूर से मनुष्य के रूप है! यह कहना विज्ञान का है! कहना भी अलग बात है! वनमानुष मानुष लांगुरिया या बंदर से मनुष्य का रूप है तो आज भी जंगलों में वनमानुष मानुष लंगूर बंदर वह मनुष्य महिला पुरुष के रूप में क्यों नहीं बन जाते हैं यह भी बात है!

*क्या धरती किसी ग्रह का एक टुकड़ा है जैसे चंद्रमा का अधिक जानकारी !

अगर देखा जाए तो धरती के नीचे पानी ही पानी इसका अर्थ है यह किसी ग्रह का एक टुकड़ा पानी पर गिरा था ऊपर धरती बन गया नीचे पानी रह गया फिर इसी धरती पर सूरज की किरण आने लगी और धीरे-धीरे तरह-तरह के जीव जंतु पैदा होने लगे! यह सत्य विज्ञान भी यह कहता है! मगर परमात्मा की दिन चंद्रमा या किसी ग्रह का टुकड़ा इस धरती बनाकर मनुष्य के जीवन का एक धरती कहलाता है!

धरती का मनुष्य अपना महाविनाश स्वयं कर रहा है!

धरती पर मनुष्य लाखों साल पहले से जन्मदाता कर्म दाता रहे हैं! मनुष्य के रूप में देवी देवता संत ऋषि मुनि का भी जन्म हुआ बड़े से बड़े वैज्ञानिकों का भी जन्म हुआ आज सभी प्रकार के रूप में मनुष्य का जन्म हुआ हैं! मनुष्य के अच्छे और बुरे कर्म का फल इसी धरती पर प्राप्त होता हैं!

पृथ्वी पर भीषण गर्मी का अर्थ क्या है इस संबंध अधिक जानकारी!

पृथ्वी पर धीरे-धीरे भीषण गर्मी का यह एक संकेत होता है कि अंत आने वाला है! कभी भी परमात्मा ने मनुष्य की मृत्यु का जिम्मेदार स्वयम नहीं होते वह मनुष्य स्वयं जिम्मेदार बनते है! मनुष्य की हर गलतियों का क्षमा होता है मगर धरती के प्राकृतिक के साथ गलती करने पर कभी परमात्मा कभी माफ नहीं करते हैं! जैसे जिस प्रकार से मनुष्य संसार की प्रकृति के साथ छेड़छाड़ कर रहा हैं नष्ट कर रहा हैं! धरती की नदिया को लुप्त हो रही है! धरती के प्राचीन तालाओं को नष्ट किया जा रहा है! प्राकृतिक की बनाई हुई पेड़ पौधे वृक्ष को लोग अपने स्वार्थ और मतलब के लिए उसे जड़ से नष्ट कर रहे हैं ! आज की धरती पिछले हजारों साल पहले की बात हैं जहां पैसे की अहमियत नहीं होती थी मानवता इंसानियत की अहमियत होता था!आज की युग में आज की धरती पर लोग इंसान इंसान से दूरियां बनाते जा रहे हैं! आज की धरती पर इंसान की कोई कीमत नहीं है! विज्ञान द्वारा बनाए गए पैसे रुपए की कीमत हैं! लोग सोचते हैं रूपए पैसे हैं हमारे पास सब कुछ है! रुपए से इमारत बन सकते बंगले बना सकते हो ठंडा करने के लिए मशीन लगा सकते हो, जैसे ऐसी हो फ्रिज हो अन्य सुविधा उपलब्ध हो सकती है! 

क्या भीषण गर्मी का विनाश का सन्देश है!

पिछले हजारों वर्षों से देखा जाए एक घर होते थे 10 सदस्य होते थे! हर घर के पीछे एक बगीचे होते थे अनेक अनेक प्रकार के पेड़ पौधे होते थे! लोग पैदल और बैलगाड़ी से चलते थे! यह सनातन संस्कृति थी अब धीरे-धीरे विज्ञान की दुनिया है लोग मोटरसाइकिल कर से घूम रहे हैं हवा में उड़ रहे हैं! और धरती के वन विभाग गांव में लगे हुए पेड़ पौधों को लोग अपनी जरूरत की हिसाब से इन पेड़ पौधों को नष्ट कर रहे हैं ! दुनिया का आबादी कई करोड़ में है! धीरे-धीरे शहर और गांव से पेड़ पौधों को लोग नष्ट करते-करते खुद को नष्ट करें! इसके पीछे कारण है रुपया और पैसे का घमंड, अहंकार, यही विनाश का रास्ता है ! धरती में भीषण गर्मी होने से सूर्य के 7 प्रकार के किरण द्वारा धरती पर भीषण गर्मी होगी नदी नालियां सूख जाएंगे! पेड़ पौधे लोग खुद स्वयं नष्ट कर चुके हैं! जहां अपनी सांस लेने के लिए ऑक्सीजन मिला करता था! मनुष्य का घमंड है मेरे पास पैसे हैं सब कुछ खरीद लूंगा बिजली नहीं होगा ऐसी पंख बंद हो जाएंगे! खेत में सूखे पड़ जाएंगे अनाज पैदा होना बंद हो जाएगा! 

भीषण गर्मी के बाद प्राकृतिक बरसात के कारण दुनिया जल प्रलय भी हो सकता है ! गर्मी और जल से धरती पर पतन भी हो सकता है! मनुष्य का ही पतंन होगा ! भीषण गर्मी में कागज के रुपए काम नहीं आएंगे ना लोहे के सिक्के काम आएंगे! विष्णु पुराण में सत्य कहा गया है कि-धीरे-धीरे धरती अकाल पड़ जाएगा ! और मनुष्य एक एक बूंद पानी के लिए तरसते लगेगा अनाज के लिए दर-दर भटकने लगेगा – सांस लेने के लिए छांव की आवश्यकता पड़ेगी मनुष्य रुपए के घमंड में क्या खरीद लेगा! अगर मनुष्य की रुपए इतनी ताकत होती! पैदा हुआ इंसान की मौत को खरीद कर दिखाएं! क्या पैसे से किसी की जिंदगी खरीद सकते हो या किसी का मौत खरीद सकते हो- प्राकृतिक के साथ छेड़छाड़ करना यानि मनुष्य अपनी जीवन को बर्बाद कर रहा है !

आज के कलयुग का यह भीषण गर्मी जनजीवन के अंत का संकेत मिल रहा है! 40 से 50 डिग्री तक गर्मी बढ़ने के बाद मनुष्य सांस लेना या शरीर के अंदर या शरीर के बाहर भूषण गर्मी के सहन नहीं कर पाता यही कारण है! एक मनुष्य का शरीर  लगभग 5और 6 फीट का होता है उस शरीर में लगभग अनेक लीटर पानी उपलब्ध रहते हैं! उसके बाद भी भीषण गर्मी का सहन नहीं कर पाता हैं! इस धरती पर रहने वाले छोटे-छोटे जीव जंतु चिड़िया पंछी इस भीषण गर्मी को कैसे सहन कर पाएंगे कैसे जीवित रहेंगे! इसलिए कि मनुष्य चिड़िया पंछियों के वनों को नष्ट कर रहा है और स्वयं नष्ट हो रहा है! एक कहावत कहा गया है जैसा करनी वैसा भरनी आप किसी का घर उजड़ोगे आपका कोई और उजाड़ेगा!

भारत के लोगों को जागरूकता-खास उत्तर प्रदेश और राजस्थान पंजाब हरियाणा दिल्ली मध्य प्रदेश दिल्ली यहां के तालाबों की खुदाई करवाई जाए! तथा लाखों करोड़ों वृक्ष को कटे गए हैं ! पुनः वृक्ष को करोड़ों वृक्ष के रूप में पर्यावरण को बढ़ावा दिया जाए और वृक्ष को लगानी चाहिए! 

 यह लेख मनुष्य को जागृत कर रहा है पेड़ पौधे बचाएं और पेड़ -पौधे लगाए!

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