प्रभु श्री राम के भाई लक्ष्मण मूर्छित हुए थे तब का कौन सा वैध उपचार किए थे!
राजा दशरथ और माता कौशल्या की बड़ी पुत्री का नाम शांता थी !
भारत की प्राचीन इतिहास में जहां पर धार्मिक रामायण ग्रंथ में उत्तर प्रदेश जिला अयोध्या के राजा की बात होती है जहां पर राजा दशरथ थे! राजा दशरथ जी के एक बड़ी पुत्री शांता और चार पुत्र थे! श्री राम जी श्री भरत जी श्री शत्रुघ्न जी श्री लक्ष्मण जी,श्री राजा दशरथ को तीन धर्म रानियां थी! रानी कौशल्या रानी कैकेयी रानी सुमित्रा रानी यह तीन महारानियों से चार पुत्र जन्म हुआ था! माता कौशल्या की बड़ी पुत्री शांता के बाद सभी चारों भाइयों का जन्म हुआ था! भगवान श्री राम से बड़ी उनकी बहन थी राजकुमारी शांता, बताया जाता है!
प्रभु श्री राम का विवाह कैसे हुआ!
प्राचीन भारत में छोटे-छोटे राजा जिला अस्तर पर राजा हुआ करते थे! हजारों साल पहले भारत वर्ष क्या पूरी दुनिया में एक भीषण जंगल हुआ करता था !’मनुष्य ज्यादा जीव जंतु जानवर हुआ करते थे! अयोध्या के राजा श्री राजा दशरथ के जेष्ठ पुत्र श्री राम जी अयोध्या से 14 वर्ष के लिए वनवास गए थे ! यह त्रेतायुग की बात है (मिथला) नेपाल के राजा जनक जी जेष्ठ पुत्री सीता की विवाह के लिए स्वयंवर रखा गया था! जो इस शिवधनुष को तोड़ देगा उसकी शादी सीता जी से कर दी जाएगी! उस स्वयंवर में सभी नगर के राजा के पुत्र आए हुए थे! बताया जाता है कि श्रीलंका के राजा रावण भी स्वयंवर में विराजमान थे! अयोध्या के राजा दशरत जेष्ठ पुत्र श्री राम उनके छोटे भाई श्री लक्ष्मण राजा जनक के स्वयंवर में पधारे थे!
श्री शिवधनुष की कोई छू पाता था कोई छु कर शिवधनुष नहीं उठा पाता था! आए हुए अभी स्वयंवर में लोंग परेशान हैरान रह गए थे! मगर माता सीता तों राम की सीता थी उस घनुष को कौन कैसे उठा सकता था यह प्रभु की माया था! आखरी में श्री रामचंद्र जी ने शिवधनुष को उठाकर दो टुकड़े कर दिए! माता सीता नें भगवान श्री राम के गले में हार डालकर स्वयंवर को समाप्त किया गया ! राम सीता के हों गए सीताराम के हों गए!
माता सीता जी का अपहरण किसने किया था!
श्री राम और श्री लक्ष्मण माता सीता के साथ मिथिला राज्य से होते वन वन चलने लगे! वनों के बीच में उन्होंने रखने के लिए छोटी सी झोपड़ी बनाई! वहाँ रहने लगे एक दिन रावण ने साधु के भेष में श्री राम जी की कुटिया पर आया अपने माया अनुसार,राक्षसी माया के कारण एक हिरण के रूप में जंगल में दिखाई दिया! लक्ष्मण बोले हे माता मै जंगल में जा रहा हुँ! श्री लक्ष्मण ने अपने बाण् से वहां पर एक रेखा खींच दिए इस रेखा के बाहर मत आना जब तक मैं या श्री राम भैया ना आ जाए!मगर लंका का रावण ने अपनी माया भेष मे साधु का रूप में लेकर सीता जी की कुटिया पर आया बोला हें माते हमें दीक्षा दो सीता जी कुटिया में जाकर अनाज लेकर आई देने लगे, मगर रावण बोला मै ऐसा भिक्क्षा नहीं लूंगा रेखा के बाहर से दीजिये! माथे सीता ने बोला नहीं हमारे देवर लक्ष्मण ने कहा है रेखा पर मत करना माता सीता मैं अभी रावण की साधु की भेष में छिपाराक्षक की बातों में आ गई रेखा पार कर के भिक्षा देने जा रही थी तभी रावण ने उठा ले गया! सीता जी चिल्लाती रही रोती रही मगर रावण ने उड़न खटोला पर बैठा कर श्रीलंका की ओर बढ़ चला था! वहां अंग रक्षक रूप में गरुड़ नें रोकने का प्रयास किया मगर रावण ने अपने तलवार से गरुड़ प्रहार करके घायल कर दिया! जंगल में सीता की रोने का आवाज आई श्री राम जी और श्री लक्ष्मण जी दौड़ पड़े कुटियां क्या हुआ उसके बाद कर उन्हें बताया एक उड़न खटोला से सीता माता को उठा ले गया!
श्री रामचन्द्र जी और श्री लक्ष्मण ने रावण कों क्या दंड दिए थे!
श्री राम और श्री लक्ष्मण दोनों भाई बंधन भटकते रहे और वहां पर मुलाकात हुआ हनुमान जी सुग्रीव व बंदरों की सेना को तैयार कर समुद्र में पुल बनाकर श्रीलंका पर चढ़ाई की चढ़ाई करने के पहले रावण संदेश भेजा गया सीता जी को सम्मान के साथ वापस करके नहीं परिणाम बुरा होगा! मगर रावण नहीं माना रावण की पत्नी मंदोदरी भी रावण को समझाइए! रावण के भाई विभीषण ने रावण का महल छोड़कर श्री राम के शरण में आ गए!’ रावण अनेक भाइयों ने लक्ष्मण से युद्ध किया और एक दिन लक्ष्मण और मेघनाथ से लड़ाई में जिसमे मेघनाथ की बाण् से श्री लक्ष्मण घायल होकर मूर्छित हो गए! श्री रामचंद्र जी ने बहुत दुखी हुए और भविष्न ने श्री रामचंद्र जी को समझा चिंता ना करें!
यहां श्री लंका के सुषन बैध को हनुमान जी उनकी कुटिया से उठा लाए और सुसेन वैद्य ने बताया कि यह मूर्छित हों गए हैं! सूर्य अस्त होने से पहले संजीवनी जड़ीबूटी लाना होगा लक्ष्मण जी स्वस्थ हो जाएंगे! बैध जी ने बताया कि सजीवनी बूटी हिमालय के द्रोणागिरी पर्वत पर मिलेगा! मगर हनुमान जी को पता नहीं संजीवनी बूटी कैसा होता है!उन्होंने हिमालय पर्वत पर पहुँच गए थे! श्री हनुमान जी संजीवनी बूटी को समझ नहीं पा रहे थे!उन्होंने सोचा होगा अनेक जड़ी बूटी हैं इस हिमालय पर्वत पर कौन सा संजीवनी बूटी होगा पता नहीं श्री हनुमान जी ने ऊंची हिमालय पर्वत के एक हिस्से को उखाड़ कर उठा लाए!श्री राजवैद्य सुषेण जी द्वारा संजीवनी बूटी से श्री लक्ष्मण का उपचार किए और लक्ष्मण मूर्छित से उठकर बैठ गए!
उसके कुछ दिनों बाद रावण और श्री राम की भयानक युद्ध हुआ जिसमें रावण मारा गया और सीता जी को श्री राम जी ने अयोध्या की ओर चल पड़े! भगवान श्री राम जी अयोध्या के राजा बने!
रामायण
प्रभु श्री राम के भाई लक्ष्मण जी की जीवनी रामायण की ग्रन्थ में भी लिखा गया हैं! और श्री रामानंद सागर जी की टेलीविजन धारावाहिक में भी में रामायण की बहुत अच्छी खूबसूरत जानकारियां दी गई है! आज भी डॉक्टर और बैद्यनाथ की महानता को हमें आवश्यकता होती है! इसलिए हमेशा डॉक्टर और बैध जी का हमेशा सम्मान करना चाहिए!
श्री राम माता सीता प्रभु श्री राम के दो पुत्र थे जिसका नाम लव और कुश भगवान श्री रामचंद्र के दो पुत्र हैं!
प्रभु श्री राम, के भाई श्री लक्ष्मण जी जब मूर्छित हुए थे तब सुसेन वैद्य ने उन्हें संजीवनी बूटी से लक्ष्मण जी का उपचार किया और लक्ष्मण जी ठीक हो गए! भविष्य में किसी भी व्यक्ति की शरीर बीमार हो आज के डॉक्टर के पास जाकर अपना उपचार करवाना चाहिए! डॉक्टर ही शरीर के अच्छे उपचार करता होते हैं! इसलिए रामायण में लिखी हुई चीज पर ध्यान देना चाहिए सत्य क्या है!