Sarnath- सारनाथ बुद्ध स्थल कहां पर है!
Sarnath-सारनाथ उत्तर प्रदेश राज्य जिला वाराणसी में स्थित है,7मार्च इसलिए प्रसिद्ध है क्योंकि यह भगवान बुद्ध का स्थान माना गया है,भगवान बुद्ध सारनाथ में धर्म उपदेश कब दिए थे!सारनाथ-भगवान गौतम बुद्ध को जब बिहार में ज्ञान प्राप्त हुआ था तब पहली बार अपने 5 शिष्यों कों ढूंढते ढूंढते सारनाथ आए थे इसी स्थान पर अपने पाच शिष्य कों भगवान गौतम बुद्ध ने पहली बार धर्म का उपदेश दिया थे! 2500 वर्ष पहले सारनाथ एक खूबसूरत वन हुआ करता था जो 2500 वर्ष से पहले की बात हैं! भगवान गौतम बुद्ध सारनाथ गांव और इसी जंगल में रहा करते थे! और पहला उपदेश देने के बाद यहां से उनकी अपने शिष्यों द्वारा भारत अलग-अलग गांव शहर जिलों में उपदेश दिए थे! सारनाथ के इसी स्थान पर भगवान बुद्ध ने अपने शिष्यों को बुद्ध भिच्छूक का एक स्वरूप शिक्षा दी थी!
भगवान गौतम बुद्ध का कौन सा रंग है!
सारनाथ,भगवान गौतम बुद्ध ने बिहार के गया में जब ज्ञान प्राप्त होने के बाद में जब सारनाथ के गांव आए थे यहां उस समय एक विशाल वन हुआ करता था अपने उन शिष्य से मुलाकात की थी जो शिष्य उनके साथ रहा करते थे ओ शिष्य भगवान गौतम बुद्ध Sarnath-सारनाथ बुद्ध स्थल को बिहार से छोड़कर सारनाथ चले आए थे कुछ महीनो के बाद भगवान बुद्ध को जब ज्ञान प्राप्ति हुआ तब इन्होंने चारों तरफ देखा उनके कोई भी शिष्य आसपास नहीं थे, तबीयत बहुत चिंतित हुए और उन्होंने ध्यान लगाया कि कहां गए होंगे! फिर इन्हें बुद्ध गया से बिहार से सारनाथ आए और यहां उनके पांचो शिष्य से मुलाकात हुई थी! पहले अपने ज्ञान का दीक्षा और शिक्षा अपने पांच शिष्यों को प्रथम ज्ञान दिए थे!
सारनाथ विश्व मे प्रसिद्ध क्यों है!
सारनाथ-भारत के राज्य उत्तर प्रदेश जिला वाराणसी में स्थित है,दुनिया में Sarnath-सारनाथ काशी,वाराणसी,बनारस,यह एक शहर के तीन नाम से जाने जाते हैं! मगर वाराणसी स्टेशन से लगभग 11किलोमीटर दूर,सनातन धर्म के भगवान बुद्ध सनातन धर्म के महावीर के 11 देव का जन्म स्थल भी माना गया है! सारनाथ प्राचीन काल ढाई हजार साल पहले से यानी द्वापरयुग की बात है! जब भगवान बुद्ध नें ज्ञान की खोज में लुंबिनी से अपना राज पाठ छोड़कर, भारत के पूर्वी राज्य बिहार के गया में एक पीपल के वृक्ष से नीचे कई महीनो तपस्या की और वहां उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी! गया बिहार से लेकर Sarnath,सारनाथ की अद्भुत प्राचीन संस्कृति रही है, वाराणसी के सारनाथ पूरे विश्व में जन-जन तक जाना जाता है और सारनाथ को माना जाता है! ढाई हजार वर्ष पहले Sarnath,सारनाथ एक वन हुआ करता था एक गांव था और भगवान बुद्ध ने इसी स्थान पर भगवान बुद्ध का चरण पड़ा था और यह आज तक भगवान बुद्ध स्थल की धर्म ज्ञान नगरी कहा जाता है!
सारनाथ वाराणसी में कितने धर्मस्थल है!
वाराणसी काशी भगवान शिव की नगरी का धर्म स्थल कहा जाता है,सारनाथ भगवान पारसनाथ का 23 तीर्थ जन्म स्थल है,सारनाथ में जैन 11 तीर्थंकर श्रेयाशनाथ जैन जन्म स्थल है! बताया जाता है कि 2500 साल पहले जैन मुनियों का प्रचार प्रसार जोर शोर में चल रही थी उसे समय जैन संप्रदाय में मुनि बने!श्वेतांबर और दिगंबर दो पंथ में बट गए!
Sarnath-सारनाथ का नाम कैसे पड़ा हैं!
Sarnath,सारनाथ वाराणसी-काशी के पास जैन मुनि के 11वें तीर्थंकर श्रेयांसनाथ का जन्म हुआ था इसलिए सारनाथ का नाम श्रेयांसनाथ के नाम से पड़ गया और जानने लगे और कहने लगे और आज सारनाथ के नाम पर जाना जाता है! सारनाथ एक महान नाम से जाना जाता हैं, इसी स्थान पर भगवान बुद्ध ने अपने ज्ञान प्राप्ति को ज्ञान दिए और अपने अनुयायियों को भारत के अनेक अनेक राज्यों में देश के अलावा अन्य देशों में अपना का ज्ञान भेजे थे!
सारनाथ में भगवान बुद्ध स्थल किसने बनवाया था!
Sarnath-सारनाथ भारत नहीं पूरे विश्व का प्राचीन शहर माना जाता है,सारनाथ में अगर देखा जाए जैन मुनियों से लेकर बुद्ध मुनि बुद्ध भिक्षुक द्वारा आज विश्व में पहचान बनी हुई है,23 वर्ष पहले की बात है अखंड भारत वर्ष के संस्थापक मौर्य साम्राज्य काल में भारत गणराज्य चक्रवर्ती सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य, पोते राजा अशोक द्वारा सारनाथ के बुद्ध विहार को बनवाया गया था! चक्रवर्ती सम्राट अशोक के पिता चक्रवर्ती सम्राट बिंदुसार मौर्य थे, राजा बिंदुसार के अनेक पुत्रों में एक पुत्र महान अशोक नाम आता है चक्रवर्ती सम्राट अशोक महान भारत के एशिया वर्ष में इनका साम्राज्य हुआ करता था! 23 वर्ष पहले राजा अशोक वाराणसी के सारनाथ जब आए थे, चुनार के पत्थर जो मिर्जापुर कहा जाता है, चुनार के पत्थर से भगवान बुद्ध की मंदिर का निर्माण करवाए थे,चुनार के पत्थर लाने के लिए नाव के माध्यम से गंगा के रास्ते से लाया गया था और गंगा से लेकर के सारनाथ तक सम्राट अशोक ने नदियों की खुदाई करवाई थी जिससे पत्थर सारनाथ में भगवान बुद्ध के स्थल पर पहुंच सके, सम्राट अशोक द्वारा हिरना के लिए वन बनवा गया था मोर पंछियों के लिए वन बनवाएं, सारनाथ को भगवान बुद्ध के धर्म स्थल के नाम पर जाना जाता है! सनातन धर्म के एक ऐसी भगवान है जिसका रंग भगवा रंग था जो भगवान बुद्ध है!
वाराणसी और सारनाथ में कौन-कौन से धर्मस्थल हैं!
वाराणसी सारनाथ Sarnath-की जब बात होती है, काशी को धर्म नगरी कहा जाता है जहां पर मां गंगा स्वयं वहां से निकली है, काशी में भगवान शिव का नगरी कहा जाता है भगवान बुद्ध की नगरी कहा जाता है भगवान पारसनाथ की नगरी कहा जाता है,काशी देवी देवताओं गुरुओं का नगरी रहा है! काशी एक प्राचीन नाम से भगवान शिव माता पार्वती का मंदिर है जिसे काशी विश्वनाथ कहा जाता है! यह मंदिर मां गंगा के तट के किनारे पर स्थित है! काशी मंदिर से जाने के लिए सारनाथ बुद्ध स्थल जाने के लिए लगभग 11 किलोमीटर अधिक दूरी पर है और सारनाथ रेलवे स्टेशन से अगर बुद्ध मंदिर जाने के लिए कुछ ही मिनट की दूरी पर है!
Sarnath-सारनाथ-